हिंदू विवाह में सात फेरे क्यों लिए जाते हैं | आध्यात्मिक शक्ति का दृष्टिकोण
हिंदू विवाह को केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो आत्माओं का पवित्र बंधन माना गया है। इस बंधन को साक्षी मानकर अग्नि के चारों ओर सात फेरे लिए जाते हैं। हर फेरा केवल एक परंपरा नहीं बल्कि जीवन, धर्म और आत्मिक एकता का प्रतीक है। इस लेख में हम Adhyatmik Shakti की दृष्टि से समझेंगे कि विवाह में सात फेरे क्यों लिए जाते हैं, और प्रत्येक फेरे का क्या गहरा
RITUALS
11/12/20251 min read
विवाह: केवल संबंध नहीं, संस्कार है
वेदों में विवाह को संस्कारों का सर्वोच्च संस्कार कहा गया है। यह केवल दो शरीरों का मिलन नहीं बल्कि आत्मा और कर्म का समागम है।
ऋग्वेद के अनुसार —
“सखा सखायं सं विधेहि।”
अर्थात् — हे अग्नि, इन्हें जीवनभर सच्चा मित्र बनाए रखना।
हिंदू विवाह में अग्नि को साक्षी माना जाता है क्योंकि अग्नि शुद्धता, साक्ष्य और ऊर्जा का प्रतीक है। जब वर-वधू अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेते हैं, तब वे केवल वचन नहीं देते — वे ब्रह्मांड के साक्षी में अपनी आत्माओं को जोड़ते हैं।
सात फेरे क्यों?
संख्या ‘सात’ का हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक अर्थ है।
सात लोक – भूर, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, सत्य।
सात समुद्र।
सात रंग।
सात दिन।
सात स्वर।
सात ग्रह।
और जीवन के सात चरण।
सात संख्या पूर्णता, संतुलन और शाश्वतता का प्रतीक है। इसलिए विवाह में सात फेरे जीवन के सात वचनों और सात दिशाओं के संकल्प हैं।
सात फेरे: आध्यात्मिक शक्ति की दृष्टि से गहरा अर्थ
पहला फेरा – अन्न और पोषण का वचन
पहले फेरे में वर-वधू प्रार्थना करते हैं —
“हम दोनों मिलकर जीवन का पोषण करेंगे, और अपने परिवार की समृद्धि का ध्यान रखेंगे।”
यह फेरा भौतिक जीवन की नींव है।
Adhyatmik Shakti के अनुसार, यह वचन धरती तत्व से जुड़ा है — जो स्थिरता और पोषण का प्रतीक है।
पति और पत्नी एक-दूसरे की आवश्यकताओं को पूरा करने और जीवन के संघर्षों में साथ निभाने का संकल्प लेते हैं।
दूसरा फेरा – शक्ति और धैर्य का वचन
दूसरे फेरे में कहा जाता है —
“हम एक-दूसरे की शक्ति और धैर्य बनेंगे, और संकट में साथ खड़े रहेंगे।”
यह जल तत्व से जुड़ा है। जैसे जल प्रवाहित होकर सबको जीवन देता है, वैसे ही दंपति को भी एक-दूसरे के लिए शांत और पोषक बनना चाहिए।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह वचन प्रेम, सहनशीलता और सहयोग का प्रतीक है।
तीसरा फेरा – धन और सदाचार का वचन
तीसरे फेरे में दंपति प्रतिज्ञा करते हैं कि वे धर्म, कर्म और सत्य के मार्ग पर चलकर अपने घर की समृद्धि करेंगे।
यह अग्नि तत्व से जुड़ा है — जो उत्साह, कर्म और आलोक का प्रतीक है।
Adhyatmik Shakti कहता है कि यह फेरा आत्मनिर्भरता और नैतिकता का संकल्प है।
यह हमें सिखाता है कि सच्चा धन केवल पैसा नहीं, बल्कि सत्य और करुणा भी है।
चौथा फेरा – प्रेम और आत्मीयता का वचन
इस फेरे में वर कहता है —
“तुम मेरे हृदय की देवी हो, हम सदा प्रेम और सम्मान के साथ रहेंगे।”
यह वायु तत्व से संबंधित है, जो जीवन में गति और संवाद का प्रतीक है।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह फेरा भावनात्मक एकता का प्रतीक है।
यह प्रेम, संवाद और पारस्परिक सम्मान के माध्यम से आत्माओं के मिलन का वचन है।
पाँचवाँ फेरा – संतान और करुणा का वचन
पाँचवें फेरे में कहा जाता है —
“हम मिलकर धर्मशील और संस्कारी संतान का पालन करेंगे।”
यह आकाश तत्व से संबंधित है, जो चेतना और विस्तार का प्रतीक है।
यह फेरा केवल संतानोत्पत्ति का नहीं, बल्कि संस्कार और भविष्य की ऊर्जा का प्रतीक है।
Adhyatmik Shakti के अनुसार, यह वचन आत्मा की निरंतरता का संकेत है।
छठा फेरा – ऋतु, स्वास्थ्य और आनंद का वचन
इस फेरे में दोनों प्रार्थना करते हैं —
“हम स्वस्थ रहेंगे, ऋतुचक्र का आदर करेंगे और मिलकर जीवन का आनंद लेंगे।”
यह फेरा प्रकृति के साथ एकता का संकेत देता है।
यह दर्शाता है कि जीवन में संतुलन, संयम और प्रकृति के प्रति सम्मान आवश्यक है।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह फेरा शरीर, मन और आत्मा के त्रिवेणी संतुलन को स्थापित करता है।
सातवाँ फेरा – मित्रता और निष्ठा का वचन
सातवाँ और अंतिम फेरा सबसे पवित्र माना जाता है।
इसमें वर-वधू कहते हैं —
“अब हम दोनों एक-दूसरे के सच्चे मित्र और साथी बन गए हैं। हमारे विचार, हमारी आत्मा और हमारी दिशा एक है।”
यह फेरा पूर्णता का प्रतीक है।
Adhyatmik Shakti के अनुसार, यह सातवाँ फेरा आत्माओं के स्थायी मिलन का संकेत देता है — जहाँ दो जीवन अब एक उद्देश्य से जुड़ जाते हैं।
सात फेरे: आत्मा का परिपूर्ण चक्र
हर फेरा केवल एक वचन नहीं, बल्कि एक चक्र है जो जीवन के सात स्तरों को संतुलित करता है।
भौतिक स्थिरता (पृथ्वी तत्व)
भावनात्मक प्रवाह (जल तत्व)
कर्म और उत्साह (अग्नि तत्व)
संवाद और प्रेम (वायु तत्व)
चेतना और विस्तार (आकाश तत्व)
संतुलन और स्वास्थ्य
आत्मा और मित्रता का मिलन
इन सात फेरों के बाद पति-पत्नी केवल साथी नहीं रहते — वे एक आत्मा के दो स्वरूप बन जाते हैं।
अग्नि की साक्षी का रहस्य
विवाह में अग्नि की साक्षी लेना कोई साधारण परंपरा नहीं है।
अग्नि वह तत्व है जो सभी दिशाओं में समान रूप से प्रकाश फैलाता है, जो शुद्धता और सत्य का प्रतीक है।
जब वर-वधू अग्नि के चारों ओर घूमते हैं, तो वे ब्रह्मांड के साक्षी में अपनी प्रतिज्ञा दोहराते हैं।
आध्यात्मिक शक्ति के अनुसार, अग्नि प्राण ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है।
इसलिए विवाह में अग्नि के सामने लिया गया संकल्प आत्मा और ऊर्जा दोनों के स्तर पर अमर माना गया है।
क्या सात फेरों का कोई वैज्ञानिक आधार भी है?
हाँ। जब दंपति अग्नि के चारों ओर सात बार घूमते हैं, तो यह एक प्रकार का ऊर्जा सर्किट बनाता है।
अग्नि की गर्मी और उसकी लहरें शरीर के सात चक्रों (मूलाधार से सहस्रार तक) को सक्रिय करती हैं।
यह दोनों के आभामंडल (aura) को एक समान तरंग पर ले आती है, जिससे ऊर्जा एक-दूसरे में संतुलित रूप से प्रवाहित होती है।
इसीलिए विवाह के समय वातावरण को पवित्र और शांत रखा जाता है ताकि ऊर्जा शुद्ध बनी रहे।
सात फेरे और ब्रह्मांडीय संतुलन
Adhyatmik Shakti के अनुसार, सात फेरे केवल सांसारिक नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय प्रक्रिया का भी हिस्सा हैं।
जब दो आत्माएं अग्नि के चारों ओर सात बार घूमती हैं, तो वे पृथ्वी और आकाश के बीच की सात परतों को पार करती हैं।
इससे उनके बीच केवल संबंध नहीं, बल्कि ऊर्जात्मक जुड़ाव बनता है।
इस ऊर्जा बंधन को ही हिंदू धर्म में “सप्तपदी संस्कार” कहा गया है।
सप्तपदी का आध्यात्मिक रहस्य
“सप्तपदी” का अर्थ है — सात कदम साथ चलना।
वेदों में कहा गया है —
“सप्तपदीनं मै सखा।”
अर्थात् — जो व्यक्ति मेरे साथ सात कदम चलता है, वह मेरा सच्चा मित्र बन जाता है।
इसी सिद्धांत पर आधारित है विवाह का यह संस्कार।
पहले सात कदम साथ चलना, फिर जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाना।
Adhyatmik Shakti कहता है कि इन सात कदमों में पति-पत्नी केवल पृथ्वी पर नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा में भी साथी बन जाते हैं।
विवाह के सात फेरे: एक जीवन दर्शन
पहला फेरा – जीवन के लिए अन्न और समृद्धि।
दूसरा फेरा – शक्ति और धैर्य।
तीसरा फेरा – धन और धर्म का पालन।
चौथा फेरा – प्रेम और आत्मीयता।
पाँचवाँ फेरा – संतान और संस्कार।
छठा फेरा – स्वास्थ्य और संतुलन।
सातवाँ फेरा – मित्रता और निष्ठा।
इन सात वचनों के साथ जीवन के सात द्वार खुलते हैं, और आत्माएं एक उच्चतर ऊर्जा में विलीन हो जाती हैं।
निष्कर्ष
हिंदू विवाह में सात फेरे केवल परंपरा नहीं बल्कि आत्मा के विकास की प्रक्रिया हैं।
हर फेरा जीवन के एक पहलू को संतुलित करता है — शरीर, मन, कर्म, भावना, चेतना, स्वास्थ्य और आत्मा।
Adhyatmik Shakti के अनुसार, विवाह वह साधना है जिसमें दो आत्माएं मिलकर एक संपूर्ण ब्रह्मांड रचती हैं।
सात फेरे इस ब्रह्मांड के सात आधार हैं — जो न केवल वैवाहिक जीवन को स्थिर बनाते हैं बल्कि आत्मा को मोक्ष के मार्ग पर भी ले जाते हैं।
“विवाह आत्मा का वचन है, और सात फेरे उस वचन की मुहर।” – Adhyatmik Shakti


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