क्या है गरुड़ पुराण और मृत्यु के बाद इसे क्यों सुनाया जाता है | Adhyatmak Shakti Exclusive

Adhyatmak Shakti समझाता है गरुड़ पुराण का रहस्य — जानिए मृत्यु के बाद इसे क्यों पढ़ा या सुनाया जाता है, इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है, और यह आत्मा की यात्रा को कैसे समझाता है।

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11/9/20251 min read

क्या है गरुड़ पुराण और मृत्यु के बाद इसे क्यों सुनाया जाता है

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के सबसे गूढ़ और रहस्यमय ग्रंथों में से एक है। यह भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के संवाद का एक दिव्य ग्रंथ है, जिसमें जीवन, मृत्यु, आत्मा और मोक्ष से जुड़ी गहरी बातें बताई गई हैं।

जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तब हिंदू परंपरा में गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। यह केवल धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि आत्मा की शांति और चेतना को मोक्ष की दिशा में ले जाने का एक आध्यात्मिक साधन माना गया है।

Adhyatmak Shakti के अनुसार, गरुड़ पुराण हमें यह सिखाता है कि मृत्यु कोई अंत नहीं, बल्कि आत्मा की अगली यात्रा की शुरुआत है।

गरुड़ पुराण क्या है?

गरुड़ पुराण अठारह महापुराणों में से एक है, जिसे विष्णु पुराण का ही विस्तार माना गया है। इसमें भगवान विष्णु ने गरुड़ को मृत्यु, पुनर्जन्म और कर्म के फल के बारे में बताया है।

यह ग्रंथ दो मुख्य भागों में विभाजित है —

  1. पूर्व खंड (पूर्वार्ध): इसमें धर्म, कर्म, यज्ञ, पूजा, और जीवन जीने की सही विधि का वर्णन है।

  2. उत्तर खंड (उत्तरार्ध): इसमें मृत्यु, आत्मा की गति, यमलोक, पाप-पुण्य का हिसाब, और मोक्ष मार्ग का वर्णन है।

गरुड़ पुराण को “मोक्ष पुराण” भी कहा जाता है क्योंकि इसका मूल उद्देश्य आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाना है।

मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण क्यों सुनाया जाता है

मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ करना हिंदू परंपरा में एक अत्यंत पवित्र और आवश्यक कर्म माना गया है। इसके कई आध्यात्मिक कारण हैं:

1. आत्मा की यात्रा को दिशा देना

गरुड़ पुराण के श्लोक बताते हैं कि मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा एक भ्रम की अवस्था में रहती है। गरुड़ पुराण का पाठ उस आत्मा को मार्ग दिखाता है और उसे सही दिशा में अग्रसर करता है।

2. मृत व्यक्ति के पापों का प्रायश्चित

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब परिवार के लोग श्रद्धा से इसका पाठ करते हैं, तो आत्मा के पापों का शमन होता है। यह आत्मा के बोझ को हल्का करता है और उसे यमलोक में आसानी से पहुंचने में सहायता करता है।

3. जीवितों के लिए चेतावनी और ज्ञान

गरुड़ पुराण केवल मृत आत्मा के लिए नहीं, बल्कि जीवित लोगों के लिए भी एक संदेश है। यह बताता है कि हमें जीवन में कैसे कर्म करने चाहिए ताकि मृत्यु के बाद आत्मा को पीड़ा न हो।

4. मोक्ष की प्रेरणा

यह ग्रंथ बताता है कि आत्मा केवल अच्छे कर्म, भक्ति और सत्य जीवन से ही मोक्ष प्राप्त कर सकती है। इसलिए यह सुनना आत्मा को उस दिशा में प्रेरित करता है।

गरुड़ पुराण के प्रमुख विषय

गरुड़ पुराण केवल मृत्यु के बाद की बातें नहीं बताता, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर प्रकाश डाला गया है:

1. कर्म और उसके फल

इस ग्रंथ में कहा गया है —

“कर्मणां परिणामोऽयं जन्तूनां शुभाशुभः।”
अर्थात, प्रत्येक जीव अपने कर्मों का फल स्वयं भोगता है। अच्छा कर्म सुख देता है, और बुरा कर्म दुख।

2. मृत्यु के बाद आत्मा की गति

गरुड़ पुराण विस्तार से बताता है कि आत्मा मृत्यु के बाद किन लोकों में जाती है — जैसे यमलोक, पितृलोक या स्वर्गलोक।
हर आत्मा को अपने कर्मों के अनुसार मार्ग मिलता है।

3. नरक और उसके प्रकार

इस ग्रंथ में 28 प्रकार के नरकों का उल्लेख है, जहाँ आत्मा अपने बुरे कर्मों का दंड भोगती है। प्रत्येक नरक एक विशेष पाप से जुड़ा है — जैसे हिंसा, झूठ, चोरी, या अहंकार।

4. मोक्ष का मार्ग

गरुड़ पुराण का सबसे पवित्र भाग यह बताता है कि आत्मा कैसे मुक्त होती है। भक्ति, दान, और सत्यनिष्ठ जीवन ही मुक्ति का द्वार हैं।

मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा – गरुड़ पुराण के अनुसार

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को छोड़कर एक अदृश्य यात्रा पर निकलती है।

पहले 13 दिन

आत्मा यमदूतों के साथ यमलोक की ओर जाती है। परिवार द्वारा किए गए कर्म, दान और श्राद्ध से उसकी यात्रा आसान बनती है।

14वें दिन से 1 साल तक

आत्मा अपने कर्मों के अनुसार यमराज के दरबार में जाती है। वहां धर्मराज उसके कर्मों का हिसाब करते हैं।
यदि पाप अधिक हैं, तो आत्मा को नरक के कष्ट झेलने पड़ते हैं। यदि पुण्य अधिक हैं, तो स्वर्ग प्राप्त होता है।

पुनर्जन्म या मोक्ष

यमराज के आदेश के अनुसार आत्मा पुनर्जन्म ले सकती है, या यदि उसने मोक्ष प्राप्त किया है, तो वह विष्णु लोक में चली जाती है।

गरुड़ पुराण और यमलोक का वर्णन

गरुड़ पुराण में यमलोक का विस्तार से वर्णन किया गया है। वहां चार मुख्य देवता कार्य करते हैं —

  1. यमराज – न्याय के देवता

  2. चित्रगुप्त – कर्मों के लेखाकार

  3. यमदूत – आत्माओं को मार्गदर्शन देने वाले

  4. वैराग्य देवता – आत्मा को मोह-माया से मुक्त करने वाले

हर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार अलग-अलग मार्ग से गुजरती है। यह वर्णन केवल डराने के लिए नहीं है, बल्कि व्यक्ति को सत्य मार्ग पर चलने की चेतावनी देता है।

गरुड़ पुराण का आध्यात्मिक महत्व

गरुड़ पुराण केवल मृत्यु का वर्णन नहीं करता — यह जीवन का दर्शन भी सिखाता है।

  • यह सिखाता है कि मृत्यु का भय तभी मिटता है जब व्यक्ति धर्म, भक्ति और दया के मार्ग पर चलता है।

  • यह बताता है कि मृत्यु जीवन का शत्रु नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा का द्वार है।

  • यह हमें याद दिलाता है कि जीवन अस्थायी है, इसलिए कर्मों में सद्गुण होना ही वास्तविक संपत्ति है।

Adhyatmak Shakti के अनुसार, गरुड़ पुराण एक आध्यात्मिक दर्पण है — जो हमें जीवन और मृत्यु के बीच का गहरा संबंध दिखाता है।

गरुड़ पुराण सुनने के नियम

गरुड़ पुराण का पाठ अत्यंत पवित्र कार्य है। इसे सुनने और कराने के समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

  1. इसे मृत्यु के बाद 13 दिनों तक प्रतिदिन सुनाया जा सकता है।

  2. पाठ के दौरान शुद्ध वातावरण बनाए रखना आवश्यक है।

  3. इसे केवल भक्ति और श्रद्धा से सुनना चाहिए, डर से नहीं।

  4. सुनने के बाद दान-पुण्य का कार्य अवश्य करना चाहिए।

इन नियमों का पालन करने से आत्मा को शांति और परिवार को मानसिक स्थिरता मिलती है।

आधुनिक समय में गरुड़ पुराण का महत्व

आज की तेज़-तर्रार जिंदगी में जब इंसान धन और भौतिकता के पीछे भाग रहा है, गरुड़ पुराण हमें आत्मिक सच्चाई का स्मरण कराता है।
यह बताता है कि हर कर्म का फल निश्चित है और कोई भी व्यक्ति अपने कर्मों से बच नहीं सकता।

गरुड़ पुराण हमें मृत्यु से डरना नहीं, बल्कि जीवन को सार्थक बनाना सिखाता है।

Adhyatmak Shakti का संदेश

गरुड़ पुराण मृत्यु का ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का ज्ञान है।
यह हमें सिखाता है कि जीवन के प्रत्येक क्षण को भक्ति, करुणा और धर्म से भर दें — क्योंकि यही कर्म मृत्यु के बाद आत्मा का सबसे बड़ा सहारा बनते हैं।

जो लोग गरुड़ पुराण को समझते हैं, वे मृत्यु को अंत नहीं, बल्कि आत्मा की नई शुरुआत मानते हैं।