कुंडली से शनि कैसे निकालें – Adhyatmak Shakti विशेषांक 2026
क्या आपकी कुंडली में शनि दोष है? क्या शनि की दशा या साढ़ेसाती जीवन में रुकावटें ला रही है? Adhyatmak Shakti बताता है कि कुंडली से शनि दोष कैसे दूर करें और शनि को अपने पक्ष में कैसे लाएं — आध्यात्मिक और ज्योतिषीय रहस्यों के साथ।
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11/7/20251 min read
🌌 प्रस्तावना
शनि — न्याय के देवता, कर्म के निरीक्षक और समय के प्रतीक।
वे न तो दंड देने वाले ग्रह हैं, न दुर्भाग्य के कारण।
बल्कि वे ब्रह्मांड के “कर्म-संतुलक” हैं।
हर मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा शनि के अधीन है।
इसलिए जब कुंडली में शनि की स्थिति प्रतिकूल होती है,
तो व्यक्ति को संघर्ष, देरी, बाधाएँ, और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
लेकिन सच्चाई यह है —
शनि को हटाया नहीं जा सकता, केवल सुधारा जा सकता है।
शनि कोई दंड नहीं देते, बल्कि हमें सुधारते हैं।
Adhyatmak Shakti इस लेख में बताएगा कि शनि दोष को कैसे शांत करें,
कैसे कुंडली से शनि की नकारात्मकता को निकाला जाए,
और कैसे शनि को मित्र बना लिया जाए ताकि वही ग्रह आपको सफलता दिलाए।
🧿 शनि कौन हैं?
शनि, सूर्यदेव के पुत्र और छाया (संग्या की छाया रूप) के गर्भ से उत्पन्न हुए।
उनका स्वभाव गंभीर, अनुशासित, और न्यायप्रिय है।
उनका वाहन कौवा (काक) है,
और वे दक्षिण दिशा के अधिपति माने जाते हैं।
वेदों में कहा गया है —
“शनि सर्वभूतहितकारी, कर्मफलदाता और धर्मसंरक्षक हैं।”
शनि का कार्य है:
हमारे कर्मों का लेखा-जोखा रखना
हमें विनम्र बनाना
हमें मेहनत का महत्व सिखाना
और यह दिखाना कि भाग्य से ऊपर कर्म है।
🪐 शनि के प्रकार
कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार उनके प्रभाव अलग-अलग होते हैं।
साढ़ेसाती – जब शनि जन्म राशि से 12वीं, 1वीं या 2वीं भाव में आते हैं। यह लगभग 7½ वर्षों तक चलती है।
ढैय्या (कैंटिली पीरियड) – जब शनि चतुर्थ या अष्टम भाव से गुजरते हैं। यह लगभग 2½ साल की होती है।
महादशा / अंतर्दशा – जब शनि अपनी दशा देते हैं, जो 19 वर्षों तक चलती है।
ये तीनों अवस्थाएँ व्यक्ति को परीक्षा में डालती हैं — लेकिन परिणाम बुरे नहीं, शिक्षाप्रद होते हैं।
🧘 शनि दोष के लक्षण
अगर आपकी कुंडली में शनि पीड़ित हैं, तो कुछ संकेत स्पष्ट दिखाई देते हैं:
जीवन में बार-बार रुकावटें
मेहनत बहुत, परिणाम कम
नौकरी या व्यापार में स्थिरता न आना
पैर या घुटनों में दर्द
पिता से मतभेद
घर या वाहन में बार-बार समस्या
अचानक नुकसान या मानसिक बेचैनी
शनि दोष का मतलब यह नहीं कि आप दुर्भाग्यशाली हैं,
बल्कि यह संकेत है कि कर्म सुधारने का समय आ गया है।
🌿 शनि को शांत करने के ज्योतिषीय उपाय
कुंडली से शनि दोष “निकालना” असंभव है क्योंकि ग्रहों को मिटाया नहीं जा सकता।
लेकिन उनकी ऊर्जा को परिवर्तित किया जा सकता है।
1. शनि मंत्र का जाप
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
शनिवार के दिन यह मंत्र विशेष प्रभाव देता है।
यह मंत्र शनि की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ देता है।
2. शनि यंत्र की स्थापना
अपने घर के पूजास्थल में शनि यंत्र रखें।
हर शनिवार उसे गंगाजल से शुद्ध करें और दीप जलाएँ।
यह यंत्र शनि की कंपन ऊर्जा को स्थिर करता है।
3. दान और सेवा
शनि दया और करुणा से शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
शनिवार को यह करें:
काले तिल, काली उड़द, या सरसों का तेल दान करें।
गरीबों को काला कपड़ा या जूते दान करें।
किसी अंधे या बुजुर्ग व्यक्ति की सहायता करें।
याद रखें, शनि “सेवा” से प्रसन्न होते हैं, न कि केवल पूजा से।
4. शनि की धातु – लोहा और नीलम
अगर शनि शुभ भाव में हैं, तो आप नीलम रत्न (Blue Sapphire) धारण कर सकते हैं।
लेकिन सावधान — बिना ज्योतिष सलाह के कभी न पहनें।
गलत नीलम पहनने से विपरीत परिणाम हो सकते हैं।
अगर नीलम उपयुक्त न हो, तो
शनि को प्रसन्न करने के लिए लोहा, स्टील, या काला घोड़ा दान भी प्रभावी होता है।
5. शनिवार व्रत
शनिवार को उपवास करें, भोजन में केवल काली उड़द या तिल का सेवन करें।
सूर्यास्त के बाद शनि मंदिर या पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएँ।
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
इस मंत्र के 11 माला जाप से शनि की दशा शांत होती है।
🌳 आध्यात्मिक उपाय – शनि की कृपा के लिए
1. सेवा भाव
शनि कर्म के ग्रह हैं।
यदि आप बिना स्वार्थ सेवा करते हैं — माता-पिता, गरीब, या कर्मचारियों की —
तो शनि स्वयं आपका भाग्य बदल देते हैं।
2. आत्मसंयम
शनि संयम और धैर्य की परीक्षा लेते हैं।
क्रोध, झूठ, और आलस्य — ये तीन शनि के शत्रु हैं।
इनसे बचकर रहना ही शनि की आराधना है।
3. ध्यान और साधना
शनि “ध्यान और मौन” के देवता हैं।
हर दिन 10 मिनट मौन रहकर “ॐ” का जप करें।
शांति की ऊर्जा से शनि का प्रभाव संतुलित होता है।
🌠 कुंडली से शनि दोष निकालने की योगिक प्रक्रिया
Adhyatmik Shakti के अनुसार, शनि दोष केवल कर्मिक नहीं —
यह “ऊर्जा असंतुलन” का भी परिणाम होता है।
योगिक दृष्टि से शनि का संबंध “मूलाधार चक्र” से है।
जब यह चक्र असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को भय, अस्थिरता और असफलता का अनुभव होता है।
मूलाधार चक्र संतुलन के लिए ध्यान विधि:
बैठें, रीढ़ सीधी रखें।
ध्यान केंद्रित करें रीढ़ की जड़ पर (मूलाधार)।
गहरी साँस लें और “लं” बीज मंत्र का जप करें।
कल्पना करें कि काली ऊर्जा प्रकाश में बदल रही है।
यह साधना शनि की नकारात्मक शक्ति को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
🔮 शनि का वास्तविक संदेश
शनि का अर्थ है — शांत + निश्चल।
वे हमें सिखाते हैं कि सफलता रातों-रात नहीं मिलती।
हर कर्म का फल है, और हर पीड़ा एक पाठ है।
कुंडली में जब शनि पीड़ित होते हैं,
तो वे हमें “रोक” नहीं रहे — बल्कि तैयार कर रहे होते हैं।
जैसे कोई गुरु अपने शिष्य को पहले कठिन परीक्षा देता है,
वैसे ही शनि हमें जीवन के उच्च स्तर के लिए तैयार करते हैं।
इसलिए, जो व्यक्ति शनि के प्रभाव को समझता है और उसे स्वीकार करता है,
वह अंततः अजेय बन जाता है।
🕉️ शनि दोष निवारण के सरल मंत्र
अगर आपकी कुंडली में शनि से जुड़ी परेशानियाँ हैं,
तो इन तीन दैनिक अभ्यासों को अपनाएँ:
सूर्य और शनि का संतुलन
हर सुबह सूर्य को जल चढ़ाएँ और सूर्य मंत्र जपें:“ॐ घृणि सूर्याय नमः”
फिर शाम को शनि को नमन करें।
इससे पिता-पुत्र ग्रहों के बीच समरसता बनती है।कर्म सुधार का संकल्प
हर शनिवार यह संकल्प लें:“आज मैं किसी का दिल नहीं दुखाऊँगा, और अपने कर्म को ईमानदारी से निभाऊँगा।”
प्रकृति से जुड़ाव
पीपल, नीम, या बरगद के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शनि की ऊर्जा को स्थिर करता है।
🌙 शनि और जीवन परिवर्तन
बहुत लोग कहते हैं — “शनि ने मुझे बर्बाद कर दिया।”
पर सच्चाई यह है — “शनि ने तुम्हें बदल दिया।”
जब व्यक्ति को असली पहचान की जरूरत होती है,
शनि उसे अहंकार से तोड़कर भीतर की शक्ति दिखाते हैं।
जो शनि को समझ लेता है,
वह भय से ऊपर उठकर जीवन के “सच” को जान लेता है।
शनि का प्रभाव समाप्त नहीं किया जा सकता,
लेकिन उसकी दिशा बदली जा सकती है — संकल्प और साधना से।
✅ निष्कर्ष
कुंडली से शनि को निकालना संभव नहीं,
क्योंकि वे कर्म के प्रहरी हैं।
परंतु उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है —
सच्चे कर्म, संयम, और सेवा से।
शनि हमें यह याद दिलाते हैं कि भाग्य लिखने वाला ईश्वर नहीं,
बल्कि हमारे कर्म हैं।
यदि आप शनि को शत्रु नहीं, गुरु मानें —
तो वही ग्रह जो आज आपको रोके हुए हैं,
कल आपको शिखर पर पहुँचा देंगे।


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